कल आपने पढ़ा हिमालय से जुड़ी दो जगहों के बारे में। आज जानिए समुद्र से जुड़ी उन दो जगहों के बारे में जहां आप बीते साल का आखिरी सूर्यास्त या नए साल का पहला सूर्योदय देख सकते हैं-

कन्याकुमारी का संगम: कन्याकुमारी हमारे देश की मुख्यभूमि का आखिरी सिरा है। यहां अद्भुत समुद्री संगम है। यहां पर बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर मिलते हैं। इसीलिए इसकी महत्ता किसी तीर्थ से कम नहीं। अंग्रेज इसे केप कोमोरिन के नाम से जानते थे। तमिलनाडु में नागरकोइल व केरल में तिरुवनंतपुरम यहां के सबसे नजदीकी शहर हैं। देश का आखिरी सिरा होने का भाव भी इसे देशभर के सैलानियों में खासा लोकप्रिय बना देता है। लेकिन यहां की सबसे अनूठी बात यह है कि यहां आप एक ही जगह खड़े होकर पूरब से समुद्र में सूरज को उगता हुआ भी देख सकते हैं और पश्चिम में समुद्र में ही सूरज को डूबता हुआ भी देख सकते हैं। यह अद्भुत संयोग आपको देश में और कहीं नहीं मिलेगा। 31 दिसंबर की शाम इस साल को विदा कीजिए और अगले दिन तड़के वहीं जाकर नए साल की आगवानी कीजिए। कन्याकुमारी में पूरब की ही तरफ विवेकानंद रॉक भी है। सूरज की पहली किरण अक्सर इसी स्मारक के पीछे से समुद्र से बाहर निकलती देखी जा सकती है। इसीलिए हर साल 31 दिसंबर को बहुत सैलानी जुटते हैं। साल की आखिरी किरण को विदा करने और नए साल की पहली किरण का स्वागत करने के लिए। मौका मिले तो आप भी नहीं चूकिएगा अपने निकटजनों के साथ यहां जाने से।
कैसेः कन्याकुमारी के लिए दिल्ली, मुंबई व चेन्नई से ट्रेनें हैं। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम यहां से डेढ़ घंटे के रास्ते पर है। वहीं सबसे निकट का हवाई अड्डा भी है। कन्याकुमारी छोटा ही शहर है। लेकिन वहां रुकने के लिए कई छोटे-बड़े होटल हैं। यहां समुद्र तट के निकट का फुटपाथ बाजार खरीदारी के लिए बेहद लोकप्रिय है। यहां जाने का फायदा यही है कि उत्तर भारत की सर्दी से बचा जा सकता है।

चिलिका का विस्तार: ओडिशा के तीन जिलों- पुरी, खुर्दा व गंजम में फैली चिलिका झील भारत का सबसे बड़ा तटीय लैगून और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा लैगून है। इसके अलावा भारतीय उपमहाद्वीप में सर्दियों में आने वाले प्रवासी पक्षियों का सबसे बड़ा बसेरा है। कई पक्षी तो सुदूर रूस व मंगोलिया से 12 हजार किलोमीटर तक का सफर तय करके यहां पहुंचते हैं। झील दुर्लभ इरावडी डॉल्फिनों का भी घर है। बेहद खूबसूरत झील में पुरी या सातपाड़ा से नाव से जाया जा सकता है। कहने को यह झील है, लेकिन बीच झील में कई बार आपको चारों तरफ केवल समुद्र दिखाई देगा। चिलिका के सूर्योदय व सूर्यास्त, दोनों की ही बात कुछ और है। लेकिन इन दोननों का ही आनंद नाव पर झील में जाकर लिया जा सकता है। नाव पर आप अपने साथियों के साथ हों, चारों तरफ पक्षियों का कोलाहल हो और जाते साल का आखिरी या नए साल का पहला सूर्य पानी में लाल रंग भर रहा हो तो क्या नजारा होगा! जरूर सोचिएगा। यही वो समय होता है जब प्रवासी पक्षियों को चिलिका में देखा जा सकता है। इसलिए समुद्र में नलबन द्वीप की तरफ जाते हुए तड़के जल्दी नाव से निकल जाएं ताकि समुद्र के भीतर पहुंचकर सूर्योदय देख सकें और फिर शाम को लौटते हुए सूर्यास्त। यानी समुद्र के बीच जाकर समुद्र से उगते-डूबते सूरज को देखें। नए साल की इससे बेहतर शुरुआत और भला क्या होगी। इसमें बच्चों को भी खूब मजा आएगा।
कैसेः तीन जिलों में फैली चिलिका झील बहुत बड़ी है। उसमें कई जगहों से जाया जा सकता है। पुरी से कई डॉल्फिन टूर चिलिका में जाते हैं। लेकिन सबसे लोकप्रिय जगहों में से खुर्दा जिले के बालुगांव में बरकुल और गंजम जिले में रम्भा है। समुद्र में कई द्वीप हैं, जहां प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए जाया जा सकता है। भुवनेश्वर या बरहमपुर से ट्रेन या सड़क के रास्ते बालुगांव या रम्भा जाया जा सकता है। सबसे निकट का हवाई अड्डा भुवनेश्वर ही है। ध्यान रखें कि ओडिशा का समुद्री तट होने के बावजूद तड़के या देर शाम झील में जाते समय खासी ठंड हो सकती है।