बड़े हिल स्टेशनों की चमक-दमक में अक्सर हम उनके आसपास की ज्यादा खूबसूरत जगहों को भूल जाते हैं। सैलानी ज्यादा लोकप्रिय जगहों पर ही आकर अटक जाते हैं। ऐसी ही बात सुरकंडा देवी के मंदिर के बारे में भी कही जा सकती है। सुरकंडा का मंदिर देवी का महत्वपूर्ण स्थान है। दरअसल गढ़वाल के इस इलाके में प्रमुखतम धार्मिक स्थान के तौर पर माना जाता है। लेकिन इस जगह की अहमियत केवल इतनी नहीं है। यह इस इलाके का सबसे ऊंचा स्थान है और इसकी ऊंचाई 9995 फुट है। मंदिर ठीक पहाड़ की चोटी पर है। इसके चलते जब आप ऊपर हों तो चारों तरफ नजरें घुमाकर 360 डिग्री का नजारा लिया जा सकता है। केवल इतना ही नहीं, इस जगह की दुर्लभता इसलिए भी है कि उत्तर-पूर्व की ओर यहां हिमालय की श्रृंखलाएं बिखरी पड़ी हैं। चूंकि बीच में कोई और व्यवधान नहीं है इसलिए बाईं तरफ हिमाचल प्रदेश की पहाडिय़ों से लेकर सबसे दाहिनी तरफ नंदा देवी तक की पूरी श्रृंखला
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नंदा होमकुंड से कैलाश के लिए विदा हो गईं- रास्ते के तमाम कष्टों व तकलीफों को झेलते हुए। लेकिन नंदा को पहुंचाने होमकुंड या शिलासमुद्र तक गए यात्रियों के लिए नंदा को छोड़कर लौटने के बाद का रास्ता ज्यादा तकलीफदेह था। भला किसने कहा था कि चढ़ने की तुलना में पहाड़ से उतरना आसान होता है! चंदनिया घाट से लाटा खोपड़ी और फिर वहां से सुतौल तक की जो उतराई थी, वैसी विकट उतराई ट्रैकिंग के बीस साल से ज्यादा के अपने अनुभव में मैंने कम ही देखी-सुनी हैं। मुश्किल यह थी कि इसका किसी को अंदाजा भी न था। डर सब रहे थे ज्यूंरागली को लेकर और हालत पतली हुई नीचे उतर कर। ज्यूंरागली का अर्थ स्थानीय भाषा में मौत की गली होता है। रूपकुंड की तरफ से चढ़कर शिला समुद्र की ओर उतरने का यहां जो संकरा रास्ता है, ऊपर धार (दर्रे) पर मौसम का जो पल-पल बदलता विकट रुख है, उन सबको ध्यान में रखकर इसका यह नाम कोई हैरत नहीं देता।...
Read Moreआली बुग्याल बेदनी से महज तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर है। खूबसूरती में भी वो बेदनी बुग्याल के उतना ही नजदीक है। कुछ रोमांचप्रेमी घुमक्कड़ आली को ज्यादा खूबसूरत मानते हैं। मुश्किल यही है कि आली को उतने सैलानी नहीं मिलते जितने बेदनी को मिल जाते हैं। जानकार लोग आली की इस बदकिस्मती की एक कहानी भी बताते हैं। किस्सा आली व ऑली में एक टाइपोग्राफी चूक का है। दोनों ही जगह उत्तराखंड में हैं। ऑली बुग्याल जोशीमठ के पास है और इस समय देश के प्रमुखतम स्कीइंग रिजॉर्ट में से एक है। कहा जाता है कि ऑली को मिलने वाली सुविधाएं आली को मिलनी तय थीं। लेकिन बस फैसला होते समय नाम में कोई हर्फ या हिजा इधर से उधर हुआ और आली की जगह ऑली की सूरत बदल गई। हालांकि मेरी नजर में ऑली के हक में एक बात और यह भी जाती है कि वह सड़क के रास्ते में है। जोशीमठ से ऑली के लिए सड़क भी है और रोपवे भी। आली यकीनन खूबसूरत है, लेकिन...
Read Moreसाल की आखिरी शाम को विदा करने और नए साल की पहली सुबह का स्वागत करने का ख्याल कुछ अलग ही तरीके से रोमांचित करता है। लेकिन हममें से ज्यादातर अपने आसपास की होटलों या रेस्तराओं की न्यू ईयर पार्टियों या डिनर से आगे सोच ही नहीं पाते। आखिरकार जाते साल की आखिरी शाम हमारे लिए बीते वक्त को याद करने की और नए साल की पहली सुबह नई उम्मीदें जगाने की होती है। छोडि़ए होटलों की पार्टीबाजी और नाच-गाना और इस बार अपने हमसफर, दोस्तों या निकटजनों के साथ जाइए ऐसी जगह, जहां ढलते या उगते सूरज की लालिमा आपको भीतर तक आह्लादित कर देती है। सूरज के क्षितिज में समा जाने या वहां से बाहर निकलते देखना सबसे सुकूनदायक पलों में से एक होता है। हम आपको सुझा रहे हैं ऐसी ही कुछ जगहें। इनमें से कई जगहें ऐसी हैं जहां आप एक ही स्थान पर केवल अपनी नजरें घुमाकर शाम को सूर्यास्त और सवेरे सूर्योदय देख सकते हैं। इस फेहरिस्त में हालांकि...
Read Moreएशिया की सबसे लंबी पैदल राजजात यात्रा को आखिरकार रद्द ही कर दिया गया। दैवीय आपदा के बाद उपजे हालात को देखते हुए 29 अगस्त से शुरू होने वाली राजजात यात्रा अंततः स्थगित कर दी गई। कुछ ही दिनों के अंतराल में राजजात यात्रा का नया कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा। फिलहाल यह तय किया गया है कि 26 अगस्त को उन सभी स्थानों पर विशेष पूजा की जाएगी, जहां से राजजात में छंतोलियां यानि देवी के छत्र शामिल होने के लिए आते हैं। उत्तराखंड में आई विनाशकारी प्राकृतिक आपदा, सरकार के अनुरोध और अपने परंपरागत अधिकारों व उत्तरदायित्वों का प्रयोग करते हुए नंदा देवी राजजात समिति ने यात्रा स्थगित की है। 12 साल में एक बार होने वाली राजजात यात्रा 2013 इसी महीने की 29 तारीख को चमोली जिले के नौटी गांव से शुरू होनी थी, लेकिन आपदा के कारण यात्रा मार्ग बर्बाद होने तथा अन्य समस्याओं की वजह से यात्रा को लेकर संशय बना हुआ था।...
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