पन्ना एक समय अपने हीरों और संपन्न वन्य संपदा के लिए जाना जाता था। दोनों ही लिहाज से वहां नाटकीय रूप से गिरावट आई। लेकिन उसके बावजूद पन्ना नेशनल पार्क व टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश में बाघों को देखने के लिए सबसे खूबसूरत प्राकृतिक माहौल है। विशाल केन नदी के साये में, घाटियों, पठारों, घास के मैदानों व खाइयों से पटा पन्ना पार्क वाकई बाघ देखने के लिए सबसे उम्दा जगह है। केन नदी के बहाव के साथ मिलने वाली खाइयां और झरने बेहद रोमांचक हैं। साथ ही पन्ना देश में बाघों के संरक्षण के लिए एक बड़ी चुनौती भी रहा। कई मुश्किलों का सामना करने के बाद आज उसका गौरव फिर से बहाल है। पन्ना में गोंडवाना काल के कई चिह्न भी मिलते हैं। टाइगर रिजर्व के अलावा पन्ना को पांडव फॉल्स, केन घड़ियाल अभयारण्य और रानेह फॉल्स के लिए भी खूब सैलानी मिलते हैं। जंगल व वन्य प्राणीः कुल 543 वर्ग किलोमीटर इलाके में केन नदी के दोन...
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मध्य प्रदेश में कान्हा टाइगर रिजर्व को कई मायने में बांधवगढ़ का जुड़वां भी कहा जाता है। साल व बांस के जंगल, घास के मैदान, जलधाराएं, ये सब घोड़े की नाल की शक्ल वाली घाटी में फैले 940 वर्ग किलोमीटर के इस पार्क को शक्ल देती हैं। इसे 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत गठित किया गया था। मांडला व बालाघाट जिलों की मैकाल रेंज में स्थित यह पार्क सूखी जमीन पर रहने वाले दुर्लभ बारहसिंघा की गिनी-चुनी जगहों में से एक माना जाता है। यहां की खूबसूरती, व्यवस्था और वन्य जीवों के संरक्षण की बदौलत इसे एशिया क सबसे बेहतरीन नेशनल पार्को में से एक माना जाता है। वन्यप्रेमियों के लिए यह बड़ा आकर्षण है। 1930 के दशक तक कान्हा दो अभयारण्यों में बंटा था और ये दोनों इस इलाके की दो प्रमुख नदियों हेलोन व बंजार के नाम पर थे। यहां के इलाके में पठारों के अलावा समतल तले वाली घाटियां भी हैं। पानी से उनकी मिट्टी चिकनी हो जाती...
Read Moreपेंच टागर रिजर्व में इंदिरा प्रियदर्शिनी पेंच नेशनल पार्क व मोगली पेंच सेंक्चुअरी, दोनों शामिल हैं। यहां बाघ देखने के लिए सबसे शानदार व आकर्षक माहौल है। कहा जाता है कि यहां शाकाहारी जानवरों का सबसे ज्यादा घनत्व है। पार्क मध्य भारत में सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी ढलानों में स्थित है और यह छिंदवाड़ा व स्योनी जिलों के अलावा महाराष्ट्र में नागपुर जिले की सीमाओं को भी छूता है। पेंच नदी इस पार्क को दो हिस्सों में बांटती है और यही इस पार्क की जीवनरेखा भी है। इस समय जहां टाइगर रिजर्व है, उसका इतिहास बड़ा शानदार रहा है। उसकी प्राकृतिक संपदा का जिक्र आइने-अकबरी तक में मिलता है। प्राकृतिक इतिहास की अन्य कई किताबों में भी इसका बखूबी जिक्र है। आर.ए. स्ट्रैंडेल की आत्मकथात्मक किताब ‘स्योनी’ ही दरअसल रुडयार्ड किपलिंग की जंगल बुक की प्रेरणा थी। मोगली की याद है न! और बघेरा व शेर खान! किपलिंग को अपन...
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