सेहत के लिए सैरः केरल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के लिए भी प्रसिद्ध है। दुनियाभर से लोग अद्भुत प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ उसकी चिकित्सा में खुद को चुस्त-दुरुस्त करने आते हैं
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लाट पर गिरकर कपाट के साथ बहते गर्म तेल से मानो भीतर की सारी थकान, जड़ता पिघल-पिघल कर नीचे रिस रही थी। मेरे लिए यह पहला अनुभव था। इतना घूमने के बाद भी स्पा या आयुर्वेदिक मसाज के प्रति कोई उत्साह मेरे भीतर नहीं जागा था, पहली बार केरल जाकर भी नहीं। इसलिए केरल की दूसरी यात्रा में कैराली में मिला यह अहसास काफी अनूठा था क्योंकि शिरोधारा के बारे में काफी कुछ सुना था। माथे पर बहते तेल को एक जोड़ी सधे हाथ सिर पर मल रहे थे। दूसरे जोड़ी हाथ बाकी बदन का जिम्मा संभाले हुए थे। यूं तो अभ्यांगम समूचे बदन पर मालिश की अलग चिकित्सा अपने आप में है, लेकिन बाकी तमाम चिकित्साओं में भी सीमित ही सही, कुछ मालिश तो पूरे बदन की हो ही जाती है। फिल्मों, कहानी-किस्सों में राजाओं, नवाबों, जागीरदारों की मालिश करते पहलवानों के बारे में देखा-सुना था, मेरे लिए यह साक्षात वैसा ही अनुभव था। फर्क बस इतना था कि दोनों बगल में पहलवान नहीं थे बल्कि केरल की पंचकरमा और आयुर्वेद चिकित्सा में महारत हासिल दो मालिशिये थे। हर हाथ सधा हुआ था। निपुणता इतनी कि बदन पर ऊपर-नीचे जाते हाथों में सेकेंड का भी फर्क नहीं। ट्रीटमेंट कक्ष में कोई घड़ी नहीं थी लेकिन पूरी प्रक्रिया के तय समय में कोई हेरफेर नहीं। थेरेपिस्ट की कुशलता और उसका प्रशिक्षण कैराली की पहचान है। लगभग पचास मिनट तक गहन मालिश के बाद शरीर के पोर-पोर से मानो तेल भीतर रिसता है (बताते हैं कि शिरोधारा में लगभग दो लीटर तेल माथे पर गिरता है, तेल में नहाना तो इसके लिए बड़ी सामान्य सी संज्ञा होगी)।
जिन्हें इसका अनुभव नहीं है, उनके लिए पहला मौका बड़ा मिला-जुला होगा, कभी बदन पर गरम तेल रखे जाते ही बेचैनी सी होगी तो, कभी लगेगा मानो बदन टूट रहा हो और कभी निचुड़ती थकान आपको मदहोश सा कर देगी। लेकिन कुल मिलाकर ऐसा पुरसुकून अहसास जो आपको पहली बार के बाद दूसरी बार के लिए बुलाता रहेगा। मालिश, जिसे रिजॉर्ट अपनी भाषा में ट्रीटमेंट या थेरेपी कहते हैं (आखिर मालिश बड़ा देहाती-सा लगता है) के बाद चिकना-चिपुड़ा बदन लेकर स्टीम रूम में ले जाया जाता है। सिर से नीचे के हिस्से को एक बक्से में बंद कर दिया जाता है और उसमें भाप प्रवाहित की जाती है। मालिश से बाद शरीर से निकले तमाम विषाणु भाप के चलते बाहर आ जाते हैं और पांच मिनट के भाप स्नान के बाद गरम पानी से स्नान आपके शरीर को तरोताजा कर देता है। वह ताजगी आपको आपको फिर वहां लौटने के लिए प्रेरित करती है, जैसे कि मुझे, लेकिन मैंने इस बार एलाकिझी थेरेपी चुनी। इसमें कपड़े की थैलियों में औषधीय पत्तियां व पाउडर बंधा होता है और उन थैलियों को गर्म तेल में भिगोकर उससे पूरे बदन की मालिश की जाती है।
थेरेपी केरल व कैराली में कई किस्म की है। आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा के हाल में बढ़े प्रभाव के कारण बड़ी संख्या में लोग अलग-अलग मर्ज के इलाज के लिए यहां आने लगे हैं। लेकिन कैराली समेत यहां के तमाम रिजॉर्ट रोगों के इलाज के साथ-साथ आपके रोजमर्रा के जीवन के तनाव को कम करने और आपको नई ऊर्जा देने के लिए भी पैकेज डिजाइन करते हों। और तो और केरल के आयुर्वेद रिजॉर्ट हनीमून तक के लिए पैकेज देने लगे हैं। लेकिन बात किसी चिकित्सा पद्धति की हो तो अक्सर बात उसकी प्रमाणिकता की भी उठती है। उनकी काबिलियत उसी आधार पर तय होती है। आयुर्वेद को भुनाने को लेकर हाल में जिस तरह की होड़ शुरू हुई है, उसमें यह पता लगाना जरूरी हो जाता है कि आप जहां जा रहे हैं, वहां आपको आयुर्वेद के नाम पर ठगा और लूटा तो नहीं जा रहा। क्योंकि अव्वल तो वैसे ही ये पैकेज महंगे होते हैं, दूसरी ओर सामान्य अपेक्षा यह होती है कि आप कुछ दिन रुककर पूरा ट्रीटमेंट लें, तो खर्च उसी अनुपात में बढ़ जाता है।
केरल के पल्लकड़ जिले में स्थित कैराली आयुर्वेद रिजॉर्ट (कोयंबटूर से 60 किमी) को नेशनल जियोग्र्राफिक ट्रैवलर ने दुनिया के पचास शीर्ष वेलनेस स्थलों में माना है। किसी आयुर्वेद रिजॉर्ट की अहमियत उसके ट्रीटमेंट के साथ-साथ वहां के वातावरण, माहौल, आबो-हवा, खानपान और चिकित्सकों से भी तय होती है। कैराली के पास न केवल अपना ऑर्गनिक फार्म है जहां रिजॉर्ट में इस्तेमाल आने वाली सारी सब्जियां उगाई जाती हैं, बल्कि एक एकड़ में फैला हर्बल गार्डन भी है, जहां केरल में मिलने वाले ज्यादातर औषधीय पौधों को संरक्षित करने की कोशिश की गई है। 15 एकड़ में फैले रिजॉर्ट में हजार से ज्यादा नारियल के वृक्ष हैं और नौ सौ से ज्यादा आम के। इतनी हरियाली और इतनी छांव कि तपते सूरज की गरमी और बरसते आसमान का पानी नीचे आप तक पहुंचने में कई पल ज्यादा ले लेता है।
कैराली में कुल 30 कॉटेज हैं और इनमें से हरेक अपनी खास डिजाइन में है। कोई भी दो एक दूसरे से मिलते नहीं हैं। दो महाराजा स्वीट को छोड़कर बाकी 28 कॉटेज के नाम 28 अलग-अलग राशियों पर हैं। उनका डिजाइन भी उसी अनुरूप है। वास्तु का भी यहां विशेष ध्यान रखा गया है। यहां ठहरने वाले कई लोग अपनी राशि के हिसाब से अपने ठहरने का कॉटेज भी चुनते हैं। सारे कॉटेज पेड़ों के बीच में हैं लेकिन कभी किसी निर्माण के लिए कोई पेड़ काटा नहीं गया।
सबके लिए आयुर्वेद
केरल और आयुर्वेद की बात जब हम करते हैं तो केवल अभ्यांगम, शिरोधारा आदि ही ध्यान में रहते हैं। लेकिन कैराली सरीखे आयुर्वेदिक घराने कई और मामलों में भी इसे लोकप्रिय बना रहे हैं। खास तौर पर महिलाओं के लिए सौंदर्य व सौष्ठव के लिए भी कई उत्पाद लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। हानिकारिक रसायनों से बचने के लिए लोग रोजमर्रा के इस्तेमाल के उत्पादों में आयुर्वेद को अपना रहे हैं। यूं तो केरल के आयुर्वेद का मुख्य आधार वहां की पंचकर्मा पद्धति है। पंचकर्मा में विभिन्न तेलों के इस्तेमाल से शरीर को फिर से ऊर्जावान बनाने की प्रक्रिया होती है। कैराली का कहना है कि चरक संहिता में लिखी पद्धतियों के अनुरूप इसका पालन किया जाता है। इसके अलावा भी कई तरह के इलाज यहां होते हैं। इनमें प्रमुख हैं- विशेष हर्बल मसाल थेरेपी, रिजुवनेशन व डिटॉक्सीफिकेशन के लिए संपूर्ण इलाज, साइनस व माइग्रेन का विशेष इलाज, गर्भावस्था के उपरांत विशेष ट्रीटमेंट, विशेष सौंदर्य देखरेख व नेत्र चिकित्सा, दबाव व तनाव दूर करने के लिए कैराली का विशेष इलाज, वजन घटाने के लिए कैराली का विशेष इलाज, अर्थराइटिस व स्पोंडलाइटिस के लिए कैराली का विशेष इलाज।
पल्लकड और आसपास
यूं तो पल्लकड जिले को उस तरह से सैलानी नहीं मिलते जिस तरह से केरल के बाकी हिस्सों को मिलते हैं। फिर भी यहां सैलानियों के लिए बहुत कुछ हैं- खास व अनूठी जगहें। पल्लकड शहर में 1766 का बनाया हुआ टीपू का किला है जिसे हैदर अली ने बनवाया था और टीपू सुल्तान ने उसकी मरम्मत करवाई। यह किला अभी तक काफी दुरुस्त हाल में है। शहर के ही दूसरे छोर पर मलमपुषा जलाशय है। इस जलाशय के साथ-साथ बेहद सुंदर बगीचा, स्वीमिंग पूल, एक्वेरियम और स्नेक पार्क है। साथ ही इसके ऊपर दक्षिण भारत की संभवतया सबसे पहली रोपवे भी है, जिसपर सैर करके जलाशय व पार्क का हवा से खूबसूरत नजारा लिया जा सकता है। साइलेंट वैली नेशनल पार्क भी यहां से काफी नजदीक है।
Good old Google Translate 🙂 Looking at the images alone, I guessed it Kerala 🙂
Yea, Google translate won’t be able to do justice with this one, I guess. It is indeed Kerala- God’s own country, famous world over for its Ayurvedic treatment.I will do a post in English as well.
Actually the translator gives you the basics… I work a lot with academics for whom English is a second or third language, and half aren’t as good as that, lol. And Kerala I know and love 🙂
That’s true. I read a lot of non-english posts from friends through translator. My daughter studies German and we take a lot of help from Google.